Seth Samman lal Jain (Landlords & Moneylenders) of Bhogal, Jangpura, New Delhi based there since more than 200 years. They used to have a very large number of properties there. They founded two big Jain Temples and a Girls School there and later on donated them. Main Bazaar of Bhogal, New Delhi is named as Samman Bazar in the name of Seth Samman lal Jain . .


But, bhogal was established in 1900 to 1922 and after Partition of India, thousands of Sikhs family were accommodated in Bhogal giving them residence of Muslims, who have left to settle at Pakistan.
ReplyDeleteसाउथ दिल्ली के खास एरिया
ReplyDeleteहै-भोगल और जंगपुरा। यहाँ के मेन बाजार का नाम है 'सम्मन बाजार' । एक खास सड़क का नाम है- 'सम्मन लेन। भोगल के मेन बस स्टॉप का नाम 'सम्मन बाजार बस स्टैंड है। ये सम्मन क्या है? क्या किसी इंसान के नाम पर सारी जगहों के नाम है? बिल्कुल सही। भोगल-जंगपुरा एरिया के एक दानी सज्जन के सम्मन लाल जैन
उन्ही के नाम पर बाजार, सड़क और बस स्टैंड के नाम हैं। उनका परिवार अरब की सराय से भोगल में आकर बसा था। उनकी भोगल और जंगपुरा में बहुत जमीनें थीं। जब 1911 में नई दिल्ली को देश की नई राजधानी बनाया गया तो सरकार ने सम्मन लाल जैन की बहुत-सी जमीन अधिग्रहीत कर ली थी। इसके बदले में सम्मन लाल जैन को मुआवजा दे दिया गया। उन्होंने उस पैसे से साउथ दिल्ली में कई मंदिर-स्कूल वगैरह खोले। भोगल का जैन मंदिर भोगल का महावीर दिल्ली दिगंबर जैन मंदिर
शिक्षा के महत्व को समझने वाले सम्मन लाल जैन ने 1924 में भोगल में श्री महावीर दिगंबर जैन कन्या स्कूल की स्थापना की। उन्होंने ही श्री भगवान शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर और भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर की भी स्थापना की। सम्मन लाल जैन ने इन मंदिरों की स्थापना इसलिए क्योंकि इधर जैन समाज की आबादी काफी थी। एक अनुमान के मुताबिक, फिलहाल भोगल और जंगपुरा में करीब 400 जैन परिवार रहते हैं। उनमें से बहुत से परिवार मूल रूप से अरब की सराय से ही संबंध रखते है। इन दोनों मंदिरों को साउथ दिल्ली के सबसे पुराने जैन मंदिरों में रखा जा सकता है। इस बीच, साउथ दिल्ली में स्थित जैन तीर्थ स्थलों की बात होगी तो छतरपुर में अहिसा स्थली का जिक्र भी करना होगा। ये उन सबके लिए पवित्र स्थान है, जो जैन धर्म की अहिंसा और त्याग की शिक्षा के प्रति निष्ठा रखते हैं। अहिंसा स्थली में भगवान महावीर जी की विशाल मूर्ति स्थापित अहिंसा स्थल के करीब ही है श्वेतांबर जैन समाज की दादाबाड़ी भी।
सम्मन लाल जैन की तरह बहुत से परिवार दिल्ली में अरब के एक छोटे से टापू अरब की सराय से निकलकर आसपास के इलाकों में बसते रहे। सम्मन लाल जैन के पौत्र सुरेंद्र जैन बताते हैं कि दिल्ली और अरब के संबंध खासे पुराने हैं। मुगल बादशाह हुमायूं की पत्नी बेगम हामिदा बानो सन् 1560 में हज करने के लिए अरब यात्रा पर गई थीं। वह उधर से करीब 300 अरब मजदूर लेकर आईं। वे उन्हें इसलिए लाई थीं कि अपने पति के मकबरे का निर्माण अपने मन-माफिक करवा सकें। उन सबके लिए हुमायूं के मकबरे के पास ही रहने की व्यवस्था हुई थी। वहां पर ही कुछ जैन परिवार भी आकर बस गए थे। उस स्थान को अरब की सराय कहा जाने लगा।
अरब की सराय से भोगल तक.
Published in Navbharat times(Hindi)on 10.09.2020
साउथ दिल्ली के खास एरिया
ReplyDeleteहै-भोगल और जंगपुरा। यहाँ के मेन बाजार का नाम है 'सम्मन बाजार' । एक खास सड़क का नाम है- 'सम्मन लेन। भोगल के मेन बस स्टॉप का नाम 'सम्मन बाजार बस स्टैंड है। ये सम्मन क्या है? क्या किसी इंसान के नाम पर सारी जगहों के नाम है? बिल्कुल सही। भोगल-जंगपुरा एरिया के एक दानी सज्जन के सम्मन लाल जैन
उन्ही के नाम पर बाजार, सड़क और बस स्टैंड के नाम हैं। उनका परिवार अरब की सराय से भोगल में आकर बसा था। उनकी भोगल और जंगपुरा में बहुत जमीनें थीं। जब 1911 में नई दिल्ली को देश की नई राजधानी बनाया गया तो सरकार ने सम्मन लाल जैन की बहुत-सी जमीन अधिग्रहीत कर ली थी। इसके बदले में सम्मन लाल जैन को मुआवजा दे दिया गया। उन्होंने उस पैसे से साउथ दिल्ली में कई मंदिर-स्कूल वगैरह खोले। भोगल का जैन मंदिर भोगल का महावीर दिल्ली दिगंबर जैन मंदिर
शिक्षा के महत्व को समझने वाले सम्मन लाल जैन ने 1924 में भोगल में श्री महावीर दिगंबर जैन कन्या स्कूल की स्थापना की। उन्होंने ही श्री भगवान शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर और भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर की भी स्थापना की। सम्मन लाल जैन ने इन मंदिरों की स्थापना इसलिए क्योंकि इधर जैन समाज की आबादी काफी थी। एक अनुमान के मुताबिक, फिलहाल भोगल और जंगपुरा में करीब 400 जैन परिवार रहते हैं। उनमें से बहुत से परिवार मूल रूप से अरब की सराय से ही संबंध रखते है। इन दोनों मंदिरों को साउथ दिल्ली के सबसे पुराने जैन मंदिरों में रखा जा सकता है। इस बीच, साउथ दिल्ली में स्थित जैन तीर्थ स्थलों की बात होगी तो छतरपुर में अहिसा स्थली का जिक्र भी करना होगा। ये उन सबके लिए पवित्र स्थान है, जो जैन धर्म की अहिंसा और त्याग की शिक्षा के प्रति निष्ठा रखते हैं। अहिंसा स्थली में भगवान महावीर जी की विशाल मूर्ति स्थापित अहिंसा स्थल के करीब ही है श्वेतांबर जैन समाज की दादाबाड़ी भी।
सम्मन लाल जैन की तरह बहुत से परिवार दिल्ली में अरब के एक छोटे से टापू अरब की सराय से निकलकर आसपास के इलाकों में बसते रहे। सम्मन लाल जैन के पौत्र सुरेंद्र जैन बताते हैं कि दिल्ली और अरब के संबंध खासे पुराने हैं। मुगल बादशाह हुमायूं की पत्नी बेगम हामिदा बानो सन् 1560 में हज करने के लिए अरब यात्रा पर गई थीं। वह उधर से करीब 300 अरब मजदूर लेकर आईं। वे उन्हें इसलिए लाई थीं कि अपने पति के मकबरे का निर्माण अपने मन-माफिक करवा सकें। उन सबके लिए हुमायूं के मकबरे के पास ही रहने की व्यवस्था हुई थी। वहां पर ही कुछ जैन परिवार भी आकर बस गए थे। उस स्थान को अरब की सराय कहा जाने लगा।
अरब की सराय से भोगल तक.
Published in Navbharat times(Hindi)on 10.09.2020
ReplyDeleteअरब की सराय, सम्मन लाल जैन और भोगल हुमायूँ के केनर्माण में अरब से लाए गए मजदूरों की भूमि थी। हुमायूँ का मकबरा 1562 में बना था। इसके वास्तुकार सैयद मुबारक इन मिराक और उनके पिता थे, जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात शहर से विशेष रूप से से बुलवाया गया था अरब की सराय में 1948 से आईटीआई चल रही है। कहते हैं, कि यह देश की पहली आईटीआई यानी औद्यगिक प्रशिक्षण केंद्र है। कुछ समय पहले इंटेक की पहल पर अरब की सराय का नेट सही किया गया में 12 मीटर लंबा है। तो आप समझ सकते हैं कि 400 बरस पहले दिल्ली में अरब के नागरिक आकर बसे थे। इस बीच, आप जानते है कि साउथ दिल्ली में भोगल और जंगपुरा है। इधर के मेन बाजार का नाम है। "सम्मन बाजार। इधर की एक खास सड़क का नाम सम्मन लेन है। भोगल के मेन बस स्टाप का नाम "सम्मन बाजार बस स्टैंड है। ये सम्मन क्या है? क्या ये किसी इंसान के नाम पर सारी जगहों के नाम है? एकदम सही। दरअसल इस भोगल जंगपुरा एरिया के एक दानी सज्जन थे सम्मन लाल जैन (1869
1956)। उन्हीं के नाम पर बजार, सड़क और बस स्टैंड के नाम है। उनका परिवार अरब की सराय से भोगल में आकर बसा था उनकी भोगल और जंगपुरा में बहुत सी जमीनें थी जब 1911 में नई दिल्ली को देश की नई राजधानी बनाया गया तो सरकार ने सम्मन लाल जैन की बहुत सी जमीन अधिग्रहीत कर ली थीं। और बदले में सम्मन लाल जैन को मुआवजा दिया। उन्होंने उस राशि से साउथ दिल्ली में कई मंदस्कल खोले। Published on 10.06.2022